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धोनी V/S गंभीर, गौतम गंभीर का छलका दर्द कहा नमी मिली ..

गौतम गंभीर ने कहा कि अगर एक खिलाड़ी वर्ल्ड कप जिता सकता, तो टीम इंडिया ने अभी तक सारे ही वर्ल्ड कप जीते होते। दिक्कत यह है कि हम अपने एक खिलाड़ी को ही भगवान की तरह पूजने लगते हैं। हम उन्हें क्रिकेट के खेल से भी बड़ा बना देते हैं। 2007 T-20 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह के प्रदर्शन के बारे में कितने लोग बात करते हैं? उसी युवराज सिंह ने 2011 में भारत को विश्व विजेता बनाने में अहम योगदान दिया था। पर युवी को कभी जीत का क्रेडिट नहीं मिला। जहीर खान, मुनाफ पटेल, सुरेश रैना और यहां तक कि सचिन तेंदुलकर को भी 2011 की वर्ल्ड कप जीत का असली क्रेडिट नहीं मिल सका। सचिन ने इस वर्ल्ड कप में 53 की औसत से 2 अर्धशतक और 2 शतकों के साथ भारत के लिए सबसे ज्यादा 482 रन बनाए थे। पर इस बारे में कोई बात ही नहीं करता। लोगों को याद भी नहीं कि जहीर खान ने 2011 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा 21 विकेट अपने नाम किए थे। 

यहाँ पढ़ें: किसके कहने पर धोनी वर्ल्ड कप में युवराज से पहले खेलने आये थे

गौतम गंभीर ने कहा है कि एक छक्के के लिए धोनी को वर्ल्ड कप फाइनल का भगवान बना दिया गया। गंभीर ने 2011 ODI वर्ल्ड कप फाइनल के बारे में कहा कि मेरे 97 रनों की पारी छोड़िए, युवराज सिंह को भी वह क्रेडिट नहीं मिला जिसके वह हकदार थे। भारत की मीडिया और सोशल मीडिया इसके लिए दोषी है। गंभीर ने कहा कि 2011 की जीत को लोग सिर्फ धोनी के एक छक्के के लिए याद रखते हैं, जबकि वहां तक टीम को पहुंचाने में कई लोगों का बहुत बड़ा योगदान था। मुझे बताइए कितने लोग बात करते हैं फाइनल में जहीर खान के उस पहले स्पेल के बारे में, जिसने भारतीय टीम की जीत की नींव रखी थी। आप एक खिलाड़ी के बारे में इतने जुनूनी हो जाते हैं कि आप टीम के बारे में भूल जाते हैं। आप यह भूल जाते हैं कि टीम के खिलाड़ियों ने मिलकर क्या किया है।


गंभीर ने कहा कि हम बस एक छक्के के बारे में बात करते हैं। मीडिया भी हमेशा इस बारे में बोलती है। लोग मीडिया और सोशल मीडिया पर पीआर के लिए पैसे लगाते हैं। मैं भी ऐसा कर सकता था, लेकिन मेरे लिए जरूरी है कि मैं देश के लिए कुछ करूं। अगर मैंने एक बार भी ऐसा कर लिया, तो मुझे लगता है कि मेरा देश के लिए खेलना किसी काम आया। गौतम गंभीर ने कहा कि एक आदमी की पीआर टीम ने उन्हें 2007 और 2011 वर्ल्ड कप जीत का हीरो बना दिया। जबकि सच्चाई ये है कि ये दोनों वर्ल्ड कप हमें युवराज सिंह ने जितवाए थे। युवी ने 2011 वर्ल्ड कप में 362 रन बनाने के अलावा 15 विकेट भी चटकाए थे। मुझे बेहद अफसोस होता है, जब हम 2007 और 2011 विश्व कप जीत की बात करते हैं, तो युवराज सिंह का नाम नहीं आता। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2007 T-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में युवराज की 30 गेंद पर 5 चौकों और 5 छक्कों के साथ खेली गई 70 रनों की पारी भी भुला दी गई। ये सिर्फ और सिर्फ मार्केटिंग और पीआर टीम की हरकत होती है, जो किसी प्लेयर को सबसे बड़ा और दूसरों को छोटा बना देती है। गंभीर ने कहा कि टीम से ऊपर प्लेयर रखने की शुरुआत तो 1983 से ही हो चुकी थी। 


हर कोई 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया को याद करते हुए कपिल देव की बात करता है। मगर कितने लोग मोहिंदर अमरनाथ को याद करते हैं। मीडिया में हर बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ सिर्फ कपिल पाजी की ही फोटो होती है। मोहिंदर अमरनाथ की परफॉर्मेंस उस वर्ल्ड कप में कैसी थी? वह फाइनल के मैन ऑफ द मैच थे। उन्होंने बल्लेबाजी में 26 रन बनाने के बाद गेंदबाजी करते हुए 3 विकेट भी चटकाए थे। मोहिंदर अमरनाथ की वजह से ही हम फाइनल जीत पाए थे। कभी वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ उनकी भी फोटो मीडिया में दिखाई जाए। गौतम गंभीर ने कहा कि कोई भी खिलाड़ी अंडररेटेड नहीं होता, बल्कि उसे ये पीआर और मार्केटिंग वाले बोल-बोलकर अंडररेटेड बना देते हैं। मीडिया जिस प्लेयर का नाम बार-बार रटती है, वही हीरो बन जाता है। गौतम गंभीर का मानना है कि पीआर के जरिए पैसे खर्च कर कुछ खिलाड़ियों की इमेज लार्जर दैन लाइफ बनाई गई। Lekhanbaji के कमेंट सेक्शन में इस पूरे विषय पर अपनी राय जरूर रखें। क्या आपको भी लगता है कि 2007 और 2011 में विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया के अन्य खिलाड़ियों को जीत का क्रेडिट नहीं मिला?

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