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Big Breaking News: कांग्रेस ने किया एक तीर से कई शिकार! CWC में थरूर और पायलट की एंट्री

पिछले साल अक्टूबर में पार्टी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने 23 सदस्यों वाली CWC को भंग कर दिया था. उसकी जगह अस्थाई तौर पर एक 47 सदस्यों की संचालन समिति बनाई गई थी. अब CWC की जो लिस्ट जारी की गई है, उसमें कुल 85 नाम हैं. इसमें 39 CWC सदस्य हैं, 18 स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं, 14 CWC इंचार्ज हैं, 9 CWC के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं और 4 पदेन सदस्य हैं.



आखिरकार कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) के सदस्यों का नाम सामने आ गया है. 20 अगस्त को कांग्रेस पार्टी की ओर से कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) के नए सदस्यों की लिस्ट जारी कर दी गई. CWC मेंबर्स की लिस्ट में सबसे पहले कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम है. खरगे के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का नाम है. 39 सदस्यों की इस कमिटी में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी शामिल हैं. खरगे के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर और राजस्थान से सचिन पायलट को भी कांग्रेस वर्किंग कमिटी में रखा गया है. इसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.


सचिन पायलट को शामिल करने के मायने

राजस्थान में चुनाव होने वाले हैं. सचिन पायलट और राजस्थान के CM अशोक गहलोत के बीच अनबन भी किसी से छिपी नहीं है. 2018 में राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच विवाद की खबरें सामने आने लगी थीं. 2020 में पायलट ने गहलोत के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. बगावती रुख के बाद उन्हें डिप्टी CM पद से हटा दिया गया था. 


हालांकि, इस साल जुलाई में सचिन पायलट ने कहा था कि उन्होंने खरगे की सलाह पर गहलोत के साथ अपने मतभेदों को सुलझाने का फैसला किया है. कांग्रेस नेतृत्व भी पायलट और गहलोत के बीच सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहा है. राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट को CWC में शामिल करने का फैसला उन्हें खुश करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.


राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई इसे राजस्थान में पार्टी का गतिरोध खत्म करने की कोशिश मानते हैं. रशीद किदवई कहते हैं,


थरूर के चयन पर रशीद किदवाई कहते हैं कि CWC में थरूर को शामिल करने का खरगे का कदम एक स्वस्थ पार्टी संस्कृति का संकेत देता है. कांग्रेस इससे ये संदेश देना चाहती है कि पार्टी में असहमति को दबाया नहीं जाता है. बता दें कि CWC कांग्रेस पार्टी की टॉप एग्जीक्यूटिव बॉडी है. पार्टी के संविधान के नियमों की व्याख्या और इन्हें लागू करने का अंतिम अधिकार CWC के पास ही है.

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