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जरूर पढ़े: मोदी सरकार ने फिर दिया चीनी कंपनी को ठेका

तक़रीबन 6 महीने पहले इसी कम्पनी के नाम पर बवाल हुआ था. क्यों? क्योंकि इसी परियोजना के लिए इस कम्पनी ने ठेके की सबसे कम बोली लगायी थी. समय, वो जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर था.

आपको बता दे की दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल की लाइन बिछनी है. जिसके जरिए बहुत तेज़ी से कहीं भी आ-जा सकेंगे. इस प्रोजेक्ट का कुछ हिस्सा अंडरग्राउंड भी होगा. इस अंडरग्राउंड हिस्से में से 5.6 किलोमीटर के रूट का निर्माण चीन की एक कम्पनी को दिया गया है. कम्पनी का नाम शंघाई टनल इंजीनियरिंग कम्पनी है. 

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भारत के इस प्रोजेक्ट के लिए एशियन डिवेलपमेंट बैंक (ADB) से भारत को फ़ंडिंग मिली है. जो देश मिलकर इस बैंक को चला रहे हैं, उनमें भारत और चीन भी शामिल हैं. एशियन डिवेलपमेंट बैंक के मुताबिक़, यदि कोई परियोजना ADB की फ़ंडिंग की मदद से किसी भी देश में शुरू की जाती है, तो ADB में मौजूद तमाम देश उस परियोजना में बोली लगा सकते हैं. उनसे किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा.


इस मामले पर नैशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) के प्रवक्ता ने दावा किया है कि STEC को ठेका देते समय तमाम नियम क़ानूनों का पालन किया गया है.

केंद्र की मोदी सरकार ने सितम्बर 2020 में RRTS ट्रेनों का पहला रूप सामने पेश किया था. कहा गया कि ट्रेन का डिज़ाइन दिल्ली के लोटस टेम्पल से प्रभावित है. ये भी दावा किया गया कि ये एसी ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार तक जा सकती है. इस ट्रेन का बाहरी ढांचा स्टेनलेस स्टील का बना होगा. हवा को काटने वाली डिज़ाइन होगी, जैसे हवाई जवाज की होती है. इसी वजह से ट्रेन का वज़न कम है. माना जा रहा है कि साल 2025 तक ट्रेन क़ायदे से चलने लगेगी.

ये परियोजना रैपिड रेल ट्रांज़िट सिस्टम (RRTS) का हिस्सा है, जिसे NCRTC संचालित कर रही है. इसके तहत दिल्ली से मेरठ वाया ग़ाज़ियाबाद 82 किलोमीटर लम्बी रैपिड रेल लाइन बिछाई जानी है. कहा जा रहा है कि इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद दिल्ली से मेरठ की दूरी लगभग 1 घंटे ही रह जाएगी. इसी का न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच के हिस्से के निर्माण का काम STEC को दिया गया है.

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