प्रश्न : पत्नी की इच्छा के विरुद्ध जब पति
शारीरिक उपभोग करने के लिए बाध्य करते हैं,
तो स्त्री की मानसिक हालत विक्षिप्त हो जाती है ।
उस तनावपूर्ण स्थिति में
औरत का क्या कर्तव्य हो सकता है ?
अगर पति जबरदस्ती ले जाता है
काम - उपभोग में,
तो ठीक काम - उपभोग के क्षण में,
ठीक इण्टरकोर्स के क्षण में
अपने मन में पूरी प्रार्थना करें कि
पति के जीवन में शान्ति हो,
पति के जीवन में प्रेम हो ।
उस क्षण में पत्नी पति की आत्माएँ
अत्यन्त निकट होती हैं ।
उस क्षण में पत्नी के मन में जो भी उठेगा
वह पति के मन तक सँक्रमित हो जाता है ।
और भी बहुत सी महिलाएं हैं
मुझसे निरन्तर पूछती हैं,
बहुत स्त्रियों के जीवन में प्रश्न होगा ।
लेकिन शायद इस बात को
कभी भी नहीं सोचा होगा कि
पति के मन में कामेच्छा की
बहुत प्रवृत्ति का पैदा होना
किस बात का सबूत है ।
वह इस बात का सबूत है कि
पति को प्रेम नहीं मिल रहा है ।
यह सोच कर
यह पढ़ कर
शायद यह सुन कर हैरानी होगी
जो पत्नी अपने पति को
जितना ज्यादा प्रेम दे सकेगी,
उस पति के जीवन में सेक्सुअल डिजायर
उतनी ही कम हो जायेगी ।
शायद यह कमी आपके ख्याल में न आया हो ।
जिन लोगों के जीवन में जितना प्रेम कम होता है
उतनी ही ज्यादा कामेषणा और सेक्सुअलिटी होती है ।
जिस व्यक्ति के जीवन में जितना ज्यादा प्रेम होता है
उतना ही उसके जीवन में सेक्स नहीं होता,
सेक्स धीरे - धीरे क्षीण होता चला जाता है ।
तो पत्नी के ऊपर एक अदभुत कर्तव्य है,
पति के ऊपर भी है ।
अगर पत्नी को लगता है कि
पति बहुत कामातुर,
कामेच्छा से पीड़ित होता है और
उसे ऐसे उपभोग में ले जाता है,
जहाँ उसका चित्त दुःखी होता है,
शान्ति नहीं पाता,
कष्ट पाता है और
विक्षिप्तता आती है,
पागलपन आता है,
घबड़ाहट आती है तो
उसे जानना चाहिए कि
पति के प्रति उसका प्रेम अधूरा होगा ।
जिस पति को प्रेम नहीं मिलता
उसके भीतर अशान्ति घनीभूत होती है ।
और उस अशान्ति के निकास के लिए,
रिलीज के लिए
सिवाय सेक्स के और कुछ भी नहीं रह जाता ।
दुनिया में जितना प्रेम कम होता जा रहा है
उतनी सेक्सुअलिटी बढ़ती जा रही है,
उतनी कामोत्तेजना बढ़ती जा रही है ।
ओशो रजनीश
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