कुरुक्षेत्र लोकसभा से सांसद नवीन जिंदल जी की माता सावित्री जिंदल ने आज हिसार से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे नामांकन दाखिल कर दिया।
वह भाजपा से टिकट चाह रही थी लेकिन बात नही बनी। इसके बाद से चर्चाएं चली कि वो कांग्रेस से भी टिकट की मांग कर रही है। लेकिन कांग्रेस ने उनका आग्रह यह कह कर ठुकरा दिया कि आपका पुत्र भाजपा से सांसद है।
सावित्री जिंदल के आजाद चुनाव लड़ने या कांग्रेस से टिकट मांगने के क्या मायने है ?
2014 मे चुनावी हार के बाद यह परिवार राजनीति से दूर हो गया था, लेकिन अब दोबारा राजनीति मे आने की क्या वजह है ?
ये ऐसे सवाल है, जिनका जवाब राजनीति मे दिलचस्पी रखने वाला जानना चाहता है।
भाजपा एक अनुशासित पार्टी मानी जाती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव मे पूर्ण बहुमत ना मिलने के कारण मोदी और अमित शाह की पकड़ कुछ ढीली हो गई है। अब नेता चुप नही रहते बल्कि मुखर हो रहे है
इसका उधारण है, हरियाणा मे टिकट वितरण के बाद हो रहा ड्रामा है। पहले कभी ऐसा नही होता था। भाजपा मे पहले कभी नही देखा गया कि किसी सांसद के परिवार का आदमी पार्टी के खिलाफ जाकर विधायक का चुनाव लड़े।
तो क्या लोकसभा चुनाव के बाद जिंदल परिवार का भाजपा से मोह भंग हो गया है ?
क्या उन्हे लगने लगा है, कि भाजपा का खराब समय शुरु हो गया है ?
क्या आजाद विधायक बनने के बाद जिंदल परिवार कांग्रेस को समर्थन करेगा ?
क्या कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में नवीन जिंदल भाजपा से त्यागपत्र देंगे ?
आज के समय में जिंदल परिवार की राजनैतिक गतिविधियों पर अगर गौर करे तो ऊपर लिखित सभी सवालों के जवाब हाँ मे है
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