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दाउद ने ऋषि कपूर से कहा, अगर तुम्हें कुछ चाहिए हो

अगर तुम्हें कुछ चाहिए हो, पैसा या कुछ और, तो बेझिझक तुम मुझसे बता सकते हो।" दाउद ने ऋषि कपूर से कहा। लेकिन ऋषि ने पोलाइटली दाउद से कहा कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए। ये बात ऋषि कपूर ने अपनी ऑटो बायोग्राफी "खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनसेंसर्ड" में लिखी थी। ऋषि कपूर दो दफा दाउद इब्राहिम से मिले थे। चलिए, विस्तार से जानते हैं क्या है ये पूरी कहानी। 

पहली दफा दाउद संग ऋषि कपूर की मुलाकात हुई थी 1988 में। दुबई में एक इवेंट था जिसमें ऋषि कपूर शामिल होने पहुंचे थे। उस इवेंट में आशा भोसले और आर.डी.बर्मन का एक म्यूज़िकल शो भी था। ऋषि जब अपने कुछ दोस्तों संग दुबई एयरपोर्ट से निकले तो दाउद के एक आदमी ने उन्हें पहचान लिया। दाउद अलग-अलग एयरपोर्ट्स पर अपने गुर्गों को तैनात रखता था ताकि वीआईपी मूवमेंट्स पर नज़र रख सके। 


दाउद का वो गुर्गा ऋषि कपूर के पास आया और एक मोबाइल(उस ज़माने में दुबई में मोबाइल थे।) उनकी तरफ बढ़ाते हुए बोला,"दाउद साब बात करेंगे।" ऋषि कपूर ने दाउद से फोन पर बात की। दाउद ने उन्हें अपने घर आने का न्यौता दिया। फिर ऋषि कपूर और उनके दोस्तों को एक चमचमाती रॉल्स रॉयस में बैठाया गया और कुछ देर तक दुबई की सड़कों पर यूं ही घुमाया गया। इसलिए ताकि ऋषि कपूर दाउद के घर का रास्ता ना जान सकें। आखिरकार ऋषि कपूर दाउद के घर पहुंच गए।


दाउद ने ऋषि कपूर और उनके दोस्तों को चाय बिस्कुट ऑफर किए और कहा कि वो ना तो खुद शराब पीता है और ना ही अपने घर आने वाले महमानों को शराब परोसता है। उस वक्त ऋषि कपूर और दाउद के बीच काफी बातचीत हुई। दाउद ने ऋषि कपूर को मुंबई में किए गए अपने पुराने कांडों की कहानी बताई। और ये भी कहा कि उसे अपने किए पर कोई अफसोस नहीं है। दाउद ने ये भी बताया कि कैसे उसने मुंबई की एक अदालत मे एक आदमी की हत्या कराई थी। उसी हत्या से प्रेरित एक दृश्य सनी देओल की अर्जुन फिल्म में भी रखा गया था।


बातचीत खत्म होने के बाद जब ऋषि कपूर दाउद के घर से चले तब दाउद ने उनसे कहा था कि अगर तुम्हें पैसे या किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो बेझिझक मुझे बता देना। लेकिन ऋषि कपूर ने उससे कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। फिर ऋषि कपूर दाउद के घर से अपने होटल चले गए। 


दाउद से ऋषि कपूर की अगली मुलाकात भी दुबई में ही हुई थी। वो मुलाकात हुई थी अगले साल यानि 1989 में। ऋषि कपूर और उनकी पत्नी दुबई स्थित एक लेबनीज़ स्टोर से जूतों की खरीदारी कर रहे थे। तभी दाउद भी वहां आया। दाउद के साथ उसके आठ-दस बॉडीगार्ड्स भी थे। इस दफा दाउद ने ऋषि कपूर और नीतू कपूर को अपनी तरफ से कोई गिफ्ट वहां से खरीदकर देने को कहा। लेकिन ऋषि कपूर ने इन्कार कर दिया। दाउद ने फिर ऋषि कपूर को अपना मोबाइल भी नंबर दिया था। बकौल ऋषि कपूर, उस मुलाकात के बाद फिर कभी भी ना तो दाउद से उनकी बात हुई और ना ही मिलना हुआ।  


अपनी ऑटोबायोग्राफी में ऋषि कपूर ने ये भी लिखा था कि दाउद उनसे दोनों दफा बहुत अच्छी तरह और प्यार से मिला था। पता नहीं क्यों दाउद ने भारत के साथ इतना बुरा किया? उस ऑटोबायोग्राफी के ज़रिए जब दाउद से ऋषि कपूर की मुलाकात की बात लोगों को पता चली तो ऋषि कपूर की बहुत आलोचना हुई। इस बात पर भी बहस छिड़ी थी कि ये सेलिब्रिटी लोग किस किससे मिलते हैं ये कम से कम सरकार को तो पता होना ही चाहिए। ऋषि कपूर ने कहा था कि उस वक्त वो दाउद से सिर्फ इसलिए मिले थे क्योंकि उस समय तक वो सिर्फ एक भगौड़ा था। तब तक उसने वो सब नहीं किया था जो उसने बाद में किया। वो सिर्फ देखना चाहते थे कि वो आदमी कैसे रहता है। कैसे बात करता है। 

नोट - तस्वीरे काल्पनिक है क्योंकि किसी भी भारतीय एजेंसी के पास दाऊद की कोई फोटो नही है। उसकी जवानी के दिनों की सिर्फ एक फोटो है जो 1985 के आसपास ली गई थी।

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