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ISRO एंट्रेंस एग्जाम में आजमगढ़ के काशिफ शेख ने किया टॉप, ऐसा रहा सफर

बचपन से ही जियोग्राफी का शौक रखने वाले काशिफ शेख का कहना है कि कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से मंजिल को हासिल किया जा सकता है. साथ ही कड़ी मेहनत और अनुशासन को अपनाते हुए एकाग्र होकर अपने लक्ष्य को पहचानने  और उस पर निरंतर मेहनत करते रहने से मंज‍िल म‍िली.

इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) जैसी संस्था के एंट्रेंस एग्जाम में टॉप करने वाले आजमगढ़ के काशिफ शेख ने अपने घर-परिवार सहित इंस्टीट्यूट और जिले का भी नाम रोशन किया है. पूर्वांचल इलाके का आजमगढ़ जिला जहां पर न ही उच्च शिक्षा और तकनीक का कोई साधन और माध्यम है, वहां से निकलकर काशिफ अपनी शिक्षा, कड़ी मेहनत और ज्ञान की बदौलत आईटी सेक्टर से होते हुए स्पेस की दुनिया में पहुंचे हैं.

काशि‍फ का मानना है क‍ि भारत की सबसे बड़ी संस्था इसरो जहां पर भारत के सभी स्पेस पर काम करने वाले ऑर्गेनाइजेशन को लीड करने वाली संस्था में अपनी सेवा देना उनके लिए एक सपने जैसा है. वह कभी सोच भी नहीं सकते थे कि इसरो के एंट्रेंस एग्जाम में वह टॉप भी कर पाएंगे. इस संस्था में सि‍लेक्ट होने और प्रथम स्थान पाने की जो खुशी है, उसको शब्दों में बयां करना मुश्किल है.

बचपन से ही जियोग्राफी का शौक रखने वाले काशिफ शेख का कहना है कि कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से मंजिल को हासिल किया जा सकता है. साथ ही कड़ी मेहनत और अनुशासन को अपनाते हुए एकाग्र होकर अपने लक्ष्य को पहचानने  और उस पर निरंतर मेहनत करते रहने से मंज‍िल म‍िली.

काश‍िफ ने सफलता के ट‍िप्स शेयर करते हुए कहा क‍ि इसरो इतनी बड़ी स्पेस एजेंसी है इंडिया की, उसके लिए काम कर पाऊं तो बहुत खुशी होगी. मैं बस यही कहना चाह रहा हूं कि जो भी जिस फील्ड में काम कर रहा है तो वह लगातार करे, अपनी मेहनत और एक डायरेक्शन में मेहनत करें क्योंकि सिर्फ मेहनत से भी काम नहीं चलता, अनुशासन भी होनी चाहिए.

एक डायरेक्शन फिक्स हो, एक गोल फिक्स हो तो आप उसमें एक्सेल कर सकते हो. कुछ भी अचीव करने के लिए टाइम तो लगता है इतना पेशेंस होना चाहिए आपके अंदर. इसका श्रेय मैं अपने मां-बाप को देना चाहूंगा जिन्होंने बहुत मेहनत की है और बहुत सारे सैक्रिफाइस किए हैं. बचपन से लेकर स्कूल टाइम से कॉलेज तक, उन्हें पूरा क्रेडिट देना चाहूंगा. 


इस तरह पाई सफलता 


काशिफ शेख ने बताया क‍ि स्कूल टाइम से ही मेरा थोड़ा जियोग्राफी की तरफ रुझान था पर 12वीं तक मैंने मैथ से स्टडी की. उसके बाद मैंने बीटेक किया जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से, वहां मेरी ब्रांच मैकेनिकल इंजीनियरिंग थी जिससे रिलेटेड है इसरो. जितने भी रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन हैं जो इंडिया में काम कर रहे हैं तो इसके लिए मैंने एक साल की कोचिंग की है. मेरे लिए बहुत खुशी की बात है. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे यह मौका मिलेगा.

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