यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का दलबदल जारी है. पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अंसारी और उनके समर्थकों को सपा की सदस्यता दिलाई. वहीं पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी भी सपा में लौट आए हैं. चौधरी को मुलायम सिंह यादव का खास माना जाता था, लेकिन 2017 में वे बसपा में शामिल हो गए थे.
आपको बता दे की अंसारी परिवार का राजनीतिक सफ़र सीपीआई से शुरू होता है. हालांकि मुख़्तार एंड फ़ैमिली ने साल 2007 में बसपा का हाथ थाम लिया. साल 2009 में मुख़्तार ने बनारस लोकसभा से चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के हाथों 17 हज़ार वोटों के अंतर से हार गए. साल 2010. कई ख़बरों में फिर से अंसारी भाइयों का नाम आया तो मायावती ने पार्टी से निकाल दिया. मुख़्तार, अफ़जाल और बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने सोचा कि अब अपनी पार्टी बनाएंगे. नई पार्टी बनी और नाम रखा गया क़ौमी एकता दल. 2012 का विधानसभा चुनाव आया. मुख़्तार ने मऊ विधानसभा जीत ली. साल 2016 में ख़बरें चलीं कि क़ौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में हो गया है. अफ़जाल और चचा शिवपाल ने मिलकर ऐलान किया था. लेकिन अखिलेश ने अड़ंगा लगा दिया. इसके बाद क़ौमी एकता दल का बीएसपी में विलय हो गया. 2017 में मुख़्तार अंसारी ने मऊ विधानसभा हथिया ली, तो 2019 में अफ़जाल अंसारी ने कृष्णानंद राय के क़रीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद और भाजपा नेता मनोज सिन्हा को ग़ाज़ीपुर लोकसभा से हरा दिया. बसपा के ही टिकट पर.
अंबिका चौधरी, समाजवादी पार्टी के बड़े और कद्दावर नेता रहे हैं. साल 1993 से साल 2012 तक, अंबिका चौधरी, फेफना विधानसभा सीट से लगातार 4 बार विधायक रहे हैं. 2003 से 2007 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में राजस्व मंत्री रहे हैं. वे पार्टी के मुख्य सचेतक भी थे. साल 2012 में अंबिका चौधरी को भाजपा के उपेंद्र तिवारी ने पटखनी दे दी थी. हालांकि अखिलेश ने उन्हें ना केवल विधान परिषद का सदस्य बनाया, बल्कि अपनी सरकार में राजस्व मंत्री का पद भी सौंपा.
बता दें साल 2016 तक वे इस पद पर रहे और साल 2017 में उन्होंने बसपा की सदस्यता ले ली थी. जिला पंचायत चुनाव में अंबिका चौधरी के बेटे आनंद, सपा के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे. इसके बाद से ही ऐसा माना जा रहा था कि अंबिका चौधरी भी जल्द सपा में शामिल हो सकते हैं.
आज 28 अगस्त को दोबारा से सपा में शामिल होने के बाद अंबिका चौधरी अपने संबोधन में भावुक हो गए. उन्होंने कहा
“आज का दिन मेरे लिए पुनर्जन्म की तरह है. अखिलेश ने मुझे मेरे बेटे और साथियों को पार्टी में शामिल करने की अनुकंपा की है. मन में एक अभिलाषा है जिसे मैं अपना संकल्प बनाना चाहता हूं और अखिलेश को सीएम बनना चाहता हूं. अपना संकल्प पूरा करने के लिए मैं कुछ भी करूंगा. सब इसी छांव की उपलब्धियां हैं. 2022 विधान सभा चुनाव तक एक लक्ष्य है कि हमारी सरकार बने.”
वही इस मौके पर अखिलेश ने कहा कि अंबिका जी काफी भावुक थे और वह बात भी नहीं कह पा रहे थे जो कहना चाहते थे. अखिलेश ने कहा कि अंबिका जी ने हमें कुल्हड़ में गुड़ की चाय पिलाई थी, यह जुड़ाव है हमारा. उन्होंने कहा,
“जो पार्टी छोड़कर गया होगा उसे कितनी परेशानी और दुख हुआ होगा यह मैं अंदाजा लगा सकता हूं. नेताजी के जितने साथी हैं, उन्हें सपा में जोड़ा जाए ये मेरी कोशिश रहेगी. न जाने क्यों बहुत मजबूत रिश्ते बहुत आसानी से टूट जाते है. सही समय पर जो साथ दे वही साथी है.”
अखिलेश ने बलिया के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि जिला पंचायत चुनाव में बलिया के लोग मजबूती से खड़े दिखाई दिए. सपा का बलिया से गहरा रिश्ता है. लेकिन योगी सरकार ने बलिया को सबसे पीछे कर दिया है.
मुख्तार अंसारी के भाई के सपा में शामिल होने पर बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि समाजवादी पार्टी की साइकिल का पहिया बिना अपराधियों के पैडल मारे नहीं घूम सकता, मुख्तार अंसारी के परिवार को फिर समाजवादी पार्टी में शामिल करके अखिलेश यादव जी ने इसे प्रमाणित कर दिया है. सपा बसपा ने उत्तर प्रदेश में “अपराध और अपराधी” दोनों को बढ़ावा दिया है.
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