कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहे किसान आंदोलन पर अपने विचार व्यक्त करने के बाद किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष व संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य मास्टर दातार सिंह 'अलविदा! मेरा समय खत्म होता है' कहकर अपनी कुर्सी पर बैठ गए। कुछ पल के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह कुर्सी से नीचे गिर पड़े। किसान नेताओं ने उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
अमृतसर के श्री गुरु नानक स्टेडियम के नजदीक स्थित विरसा विहार में कृषि कानूनों से किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों पर आयोजित एक सेमिनार में मास्टर दातार सिंह मुख्य वक्ता थे। वह अंतिम वक्ता थे जिन्हें इस मुद्दे पर अपने विचार रखने थे। मास्टर दातार सिंह का यह भाषण उनके जीवन का अंतिम भाषण होगा, इसका आभास किसी को नहीं था। कार्यक्रम खत्म करने से पहले दातार सिंह को मंच पर बुलाकर सम्मानित भी करना था लेकिन इससे पहले यह घटना घटित हो गई।
दातार सिंह ने कृषि कानूनों को रद्द करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि किसान कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन समस्या हल करने के बजाए केंद्र सरकार किसानों को बांटने की साजिश में जुट गई है। किसान सरकार की इस साजिश को समझते हैं। सरकार याद रखे की जब तक इन कानूनों को वापस नहीं किया जाता, तब तक घर नहीं जाएंगे। विरसा विहार के अध्यक्ष केवल धालीवाल, रमेश यादव, भूपिंदर सिंह संधू, धनवंत सिंह खतराये, दिलबाग सिंह, हरजीत सिंह सरकारिया ने दातार सिंह की मौत पर दुख जताया है।
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