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भाभी आप यहाँ बैठो, भैया को मैं थोड़ी देर में भेजती हूँ।

मेरी शादी हो चुकी थी और मैं अपने पति के साथ उनके घर में कदम रख चुकी थी। मैं उनके कमरे में यूँ ही बैठी थी जैसे मैं उनका इंतजार कर रही हूँ। मैं बैड से उठी और पूरे कमरे को बहुत ही ध्यान से देखा, उस कमरे की एक एक चीज को बड़ी ही बारीकी से देख रही थी। सब कुछ मेरी ही पसंद का था, दीवारों का कलर, पेटिंग्स, फ्लॉवर और यहाँ तक कि मेरी पिक्चर्स भी जो मैंने कभी किसी को भी नही दी थी। ये सब.... तो बिल्कुल वैसा ही है जैसा मै इमेजिन किया करती थी। सब कुछ मेरी पसंद का, आखिर ये सब इनको और इनके परिवार वालों को कैसे पता। मैं ये सब सोच ही रही थी कि दरवाजे के खुलने की आहट से मेरा ध्यान दरवाजे पर गया। सामने आकाश जी, मेरे पति खड़े थे।

"आराम से कोई जल्दी नहीं है, मै जानता हूँ कि आप अभी मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद करती। कोई बात नहीं आप थोड़ा वक्त लीजिए, सोचिए जानिए मुझको फिर हम इस रिश्ते को आगे बढ़ाएँगे।


आप यहाँ कंफर्ट तो है न, अगर कोई दिक्कत या किसी भी चीज की जरूरत होगी तो बता दीजिएगा। आप कम से कम कपड़े चेंज कर लीजिए, कब से इतना भारी लहंगा पहनी हुई है, थक गई होंगी आप...। चेंजिंग रूम उधर कर्बड के बगल में आप जाइये कंफर्ट हो वो बोलते जा रहे थे और मैं सिर हाँ में हिलाती जा रही थी।


अब जाइये भी कपड़े बदल लीजिए, तब तक मैं आपके सोने के लिए बैड तैयार कर देता हूँ। मैं अंदर तो चली गयी पर मुझे ये नहीं समझ आ रहा था कि मैं उनकी बातों पर अपनी सहमति ही क्यों जता रही थी। वो जो कह रहे थे, जो भी करने के लिए कह रहे थे। मैं ऐसे ही चुपचाप बस उनकी हाँ में हाँ मिलाये जा रही थी, क्या हो गया था मुझे उस वक्त...हम्म... जोर से हाथ झटककर मैं कपड़े बदलने लगी।


जब बाहर आई तो देखा कि वो मेरे लिए बिस्तर लगाने के बाद, दीवान पर अपना बिस्तर लगा रहे थे।


'आ गई आप, आपका बिस्तर लगा दिया है, आप वहाँ आराम से सो जाइये। और किसी भी चीज की आवश्यकता हो तो मुझे आवाज लगा दीजिएगा। मैं यहीं दीवान पर सोने जा रहा हूँ। अब आप बिल्कुल रिलैक्स कीजिए और सो जाइये। "गुडनाईट।'


और आकाश जी इतना कहते ही दीवान पर ही सो गये और मैं बैड पर, लेकिन आँखों से नींद तो कोसों दूर थी। धीरे-धीरे मैं अपने बीते कल की खिड़की में झाँकने लगी।


स्मृति तू शर्त लगा ले, इस साल की स्कॉलरशिप भी मुझे ही मिलने वाली है। वो तो है साँची, क्योंकि हम सब जानते है कि तुम इस कॉलेज की टॉपर हो। लेकिन साँची तू ये भी बहुत अच्छे से जानती है कि तेरे पापा अब तेरे आगे की पढ़ाई नहीं चाहते। वो जल्द से जल्द तेरी शादी करवाना चाहते हैं। लेकिन एक तू है जिसका सपना है आई एस ऑफिसर बनना, देश की सेवा करना... लेकिन तू आगे कैसे पढ़ाई करेगी, कैसे अपने सपने को पंख देगी।


हाँ स्मृति बात तो तुम्हारी ठीक है मगर मैं आज पापा से बात करूँगी। और अगर नहीं माने तो साँची..? नहीं माने तो मैं भी जिद पर अड़ जाऊँगी। मैंने स्मृति से कह तो दिया था लेकिन पापा के आगे केवल हम अपनी बात रख सकते हैं मगर उसके लिए अपनी जिद से बात नहीं मनवा सकते हैं।


सुन लो अब तुम्हारी लाडली को अभी और पढ़ना है, आई एस ऑफिसर बनेगी तुम्हारी लाडली, साँची चुपचाप कान खोलकर मेरी एक बात को सुनकर गाँठ बाँध लो.. मैने तेरे लिए एक लड़का देख लिया है। बहुत ही होनहार है, पढ़ा लिखा, और एक नामी कंपनी में जॉब भी करता है, उसका नाम आकाश है, तो सुनो कल तुम्हारी उसके साथ मीटिंग फिक्स की है, तुम्हारे साथ तुम्हारे रघु भैया भी जाएँगे। और अगर तुमने उसे किसी भी तरीके से मना करने की कोशिश भी की तो समझ लेना मुझसे बुरा कोई नही होगा। मुझे नही मालूम था कि मेरे आगे की पढ़ाई की बात चलाने से घर में इतना बवाल खड़ा हो जाएगा। और पापा तो सीधा मुझे लड़के से मिलने का आदेश ही दे देंगे। लेकिन अगले ही दिन रघु भैया ने मुझे जबरन उस लड़के से मिलवाने ले गये। साँची वो है आकाश, जाओ उसके साथ बात करो, और हाँ जो भी पूछे बिल्कुल सही सही अच्छे तरीके से जवाब देना, अब जाओ... मैं यहीं हूँ। मैं सामने उसके नजदीक जा तो रही थी लेकिन मेरे कदम खुद ही आगे नहीं बढ़ना चाह रहे थे।


हैलो मैं साँची.. जी बैठिये, मैं आकाश..! कुछ लेंगी.. जी नहीं.., मैं बातें कर तो रही थी उनसे मगर मन कह रहा था कि मै खुद ही मना कर दूँ लेकिन जैसे भैया को देखती मै चुप सी हो जाती। और न जाने कब देखते ही देखते मेरी शादी हो गई।


खट...खट...खट... दरवाजे पर खटखटाहट से मैनें अपने बीते कल की खिड़की को बंद कर दिया और मैं वर्तमान में लौट आई। घड़ी देखी तो सुबह के सात बज चुके थे। भाभी उठिये भी अब, कब तक सोती रहेंगी। माँ बहुत देर से आपकी राह देख रही हैं। कीर्ती दरवाजे को पीटते हुए बोले जा रही थी। भैया भी कब के उठ चुके हैं। कीर्ती के कहते ही मैने दीवान की ओर देखा तो आकाश जी सच में उठ चुके थे। हाँ बस थोड़ी देर में आई, तुम जाओ मै तैयार होकर आ रही हूँ।


मैं नीचे गयी तो देखा आकाश जी की माँ आँखें तरेरे खड़ी है फिर आकाश जी को देखकर उनके चेहरे का भाव ही बदल गया। उनके चेहरे पर से शहद और चाशनी का ऐसा मिश्रण देखते ही बनता। मैं जल्दी से उनके पैर छूने के लिए बढ़ी। तभी साँची बहू, बेटा कोई इतनी देर तक सोता है। मैं जब शादी करके इस घर में आई थी तब न मैं सुबह के ४ बजे ही उठ जाती थी। और सबसे पहले नहा धोकर पूजा घर में पहुँच जाती थी। सुबह का दीया मेरे घर में 5 बजे ही जल जाता था। और तुम तो कम से कम 6 नहीं तो 7 बजे तक ही जला दिया करो।


मैं आकाश जी का मुँह देखने लगी।


अरे माँ अभी तो साँची इस घर में आई है। पहले इसे इस घर में ढल तो जाने दो, फिर देखना ये खुद अपने आप ही इस घर की जिम्मेदारी बखूबी संभाल लेगी। मैं तो बस उनको देखती ही रह गई।


अच्छा साँची सुनो, २ घंटे में तैयार हो जाओ, हमें कहीं बाहर जाना है। फिर मैंने हाँ में सिर हिला दिया। हम्म....म्म....म्म.... ये मुझे बार-बार क्या हो जाता है। मैं उनके और उनके घर वालों के सामने क्यों कुछ नहीं बोल पाती हूँ। मैंने क्यों नहीं कह दिया कि मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना। मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन फिर भी मै तैयार हो गई और कुछ देर में आकाश जी मुझे लेने आ गये और मैं उनके साथ कार में बैठकर चल दी।


फिर जो मैने देखा उससे मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। मैं आई एस की पढ़ाई वाले कोचिंग सेंटर के बाहर खड़ी थी। वो बिना कुछ बोले अंदर चले गये और मैं उनके पीछे पीछे और फिर उन्होंने मेरा उस कोचिंग सेंटर में दाखिला करवा दिया। और केवल यही दो ऐसी चीजें नहीं थी जिसमें उन्होने मेरा साथ दिया। हर जगह मुझे जहाँ जरूरत थी किसी के साथ की वो हमेशा साथ खड़े रहे।


मैं सोचती थी शादी एक बंधन है, जो आपके सपनों के आड़े आ सकता है। लेकिन उनसे शादी करने के बाद एक चीज तो मै जान गयी अगर ऐसा जीवनसाथी हो तो शादी कभी सपनों के आड़े नहीं आ सकती। और एक बात और जो मैंने जानी वो कि ये प्यार तो कहीं भी कभी भी हो सकता है। चाहे वो शादी के बाद ही क्यों न हो, शादी के बाद भी हमारा जीवनसाथी भी हमारा पहला प्यार बन सकता है।

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