प्रशांत किशोर की पार्टी बिहार में पहली बार चार विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है हालांकि यह चुनाव उपचुनाव है और इसका बिहार की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है पर प्रशांत किशोर की पॉलिटिकल इमेज पर जरूर पड़ने वाला है।
बेलागंज में मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर प्रशांत किशोर ने राजद के माई समीकरण को तोड़ दिया है इसमें कोई शक नहीं है जिसका फायदा इस सीट पर एनडीए उम्मीदवार मनोरमा देवी को मिल रहा है बगल की सीट इमामगंज जीतन राम मांझी की परंपरागत सीट है और इस सीट पर कोई बड़ा उलट फिर होता हुआ नहीं दिख रहा है तरारी में राजू यादव भूमिहार राजपूत मतदाताओं के बिखराव के कारण काफी आगे निकल चुके हैं रामगढ़ में लड़ाई तो आरजेडी बीजेपी के बीच है पर प्रतिष्ठा प्रशांत किशोर से ज्यादा उपेंद्र कुशवाहा सम्राट चौधरी और भगवान सिंह कुशवाहा की लगी हुई है यहां प्रशांत किशोर ने कुशवाहा उम्मीदवार उतारा है इसी सीट की लड़ाई से पता चल जाएगा कि एनडीए के बड़े कुशवाह नेता अपने जात का वोट एनडीए को ट्रांसफर करवा पाते हैं कि नहीं।
तरारी में अगर भूमिहार वाटर अंतिम समय में एकजुट हो गए तो फिर भाजपा वैतरणी पार कर जाएगी यहां पर विजय कुमार सिन्हा को कमान सौंप गई है। बिहार का सियासी समीकरण इस बार एनडीए बनाम महागठबंधन ही दिख रहा है जात भी बड़ा फैक्टर है। ऐसे में प्रशांत किशोर के उम्मीदवार अगर दूसरी या तीसरी पोजीशन पर भी रहते हैं तो 2025 में बिहार के लगभग 70 80 सीटों पर बड़ा खेल हो जाएगा प्रशांत किशोर के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और पानी के लिए पूरा बिहार है इसलिए प्रशांत किशोर पर कोई भी टीका टिप्पणी सिर्फ विधानसभा उपचुनाव के मध्य नजर उचित प्रतीत नहीं हो रही
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