यूट्यूब चैनल पर दस लाख यानी 1 मिलियन का परिवार होने का शुक्रिया
पढ़ने-लिखने के सफ़र को बोलने तक ले जाने का ख़्वाब देखा करता था। #सामाजिक_न्याय_की_पाठशाला के नाम से अपनी वैचारिक जड़ों को और सहेजने की शुरुआत की। दोस्तों ने कहा आपको सुनना लोग पसंद कर रहे हैं। इसे व्यवस्थित तौर पर सहेजने और ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए यूट्यूब पर भी वीडियो डाला करें। छोटे भाई ने यूट्यूब की बुनियादी ट्रेनिंग दी। अज़ीज़ वैचारिक पत्रकार दोस्तों ने तकनीकी मदद की। सफ़र चल निकला। आज ये दिन आ गया। सोचा भी न था।
लाखों लोग सामाजिक न्याय के विचार के साथ मेरी विश्लेषणात्मक टिप्पणियाँ सुनने लगे। हिम्मत बढ़ती गई। पिछले दिनों असि. प्रोफ़ेसर की नौकरी छीन ली गई। ख़ुद को फिर से सहेजा। लिखने, पढ़ने और बोलने में और समय देने लगा। मगर सामाजिक न्याय की पाठशाला के तीन दर्जन एपिसोड के सामने दैनिक विश्लेषण पर ज़्यादा वक़्त जाने लगा। अब फिर से पाठशाला को आगे बढ़ाने का मन है। एक दो हाथ और बढ़ जाएँ, तो पाठशाला का काम नियमित हो जाएगा।
आज का दिन ख़ास है। उन सभी का शुक्रिया, जिन्होंने ये दिन लाया। आपका सहयोग मेरी हिम्मत है। आपकी उम्मीदों पर क़ायम रह सकूँ। आपके अपनेपन को सहेजे रखूँ। इसकी कोशिश जारी रहेगी। मशहूर कवि रॉबर फ़्रास्ट की कविता का यह अंश, जिसे हरिवंश राय बच्चन ने हिन्दी में अनूदित किया, उसे साझा करना इस दिन के मुताबिक़ है-
'गहन-सघन मनमोहक वन तरु मुझको आज बुलाते हैं
किन्तु किए जो वादे मैंने, याद मुझे आ जाते हैं,
अभी कहाँ आराम बदा यह मूक निमंत्रण छलना है
अरे, अभी तो मीलों मुझको मीलों मुझको चलना है।'
यूट्यूब चैनल लिंक-
youtube.com/c/DrLaxmanYadav
Source: Dr. Laksman Yadav Facebook
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