NDA के सहयोगी दल वीआइपी पार्टी के सुप्रीमो के इस बयान के बाद कि लालू यादव उनके लिए एक सम्मानित नेता हैं और वो बुलायेंगे तो उनसे मिलने जायेगें, बिहार की सियासत गरमा गई है. गौरतलब है कि विधान सभा की दो सीटों के लिए उप-चुनाव हो रहा है. ये दोनों सीटें JDU के खाते की हैं.अगर ईन दोनों सीटों को जीतने में RJD को सफलता मिल जाती है तो बिहार में राजनीतिक उथल-पुतल मच सकता है. गौरतलब है कि लालू प्रसाद दावा कर चुके हैं कि दोनों सीटों पर राजद के उम्मीदवार जीतेंगे तो सत्ता पार्टी में भागमभाग मचेगी. सरकार गिर सकती है और उनकी सरकार बन सकती है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव तो चुनाव प्रचार के दौरान यहीं दावा करते नजर आये कि उनकी जीत हुई तो सरकार उनकी बन जायेगी.
साल 2020 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस, RJD और लेफ्ट पार्टियों का गठबंधन था. इसे महागठबंधन का नाम दिया गया. चुनाव के बाद राजद को 75, कांग्रेस को 19, CPI (ML) को 12, CPI(M) को 2 और CPI को 2 सीटें हासिल हुईं. इस तरह महागठबंधन ने 110 सीटों पर विजय हासिल की. NDA ने 125 सीटें हासिल कीं और बिहार में NDA की सरकार बन गई. सरकार बनने के बाद बसपा के विधायक जमा खान और लोजपा के विधायक राजकुमार सिंह जेडीयू में चले गए. दोनों अपनी-अपनी पार्टी के एकलौते विधायक थे इसलिए पार्टी बदलने से कोई दिक्कत नहीं हुई. निर्दलीय सुमित सिंह ने नीतीश सरकार को समर्थन किया है और वे सरकार में मंत्री हैं. वे JDU में शामिल नहीं हुए हैं. अब सत्ताधारी NDA में भाजपा के पास 74, JDU के पास 43, हम के पास 4, VIP के पास 4 विधायक हैं. यानी कुल 125 विधायक हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन के पास 110 विधायक हैं.
अभी कांग्रेस और आरजेडी आमने सामने हैं लेकिन ये सबको पता है कि उपचुनाव परिणाम के बाद फिर से दोनों दल साथ आ जायेगें.लालू प्रसाद की पार्टी दो सीटों पर जीत हासिल कर जाती है तो महागठबंधन में विधायकों की संख्या 112 हो जाएगी. सरकार बनाने के लिए 122 विधायक चाहिए. ओवैसी की पार्टी AIMIM के पास 5 विधायक हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी HAM के पास 4 विधायक हैं और मुकेश सहनी की पार्टी VIP के पास 4 विधायक हैं. महागठबंधन को अगर AIMIM के 5 विधायक , HAM के 4 विधायक और एक निर्दलीय विधायक सुमित सिंह का साथ मिल जाता है तो संख्या बल 122 पर पहुंच जाती है.
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