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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: ऐसी प्रशासनिक तानाशाही तो कभी नहीं हुई कि प्रत्याशी नामांकन ही न कर पाए

महीने भर पहले ग्राम पंचायत चुनाव में आए खराब नतीजे ने भाजपा के शीर्ष नेताओं की नींद उड़ा दी थी। भाजपा के चेहरे की यह मुस्कान न तो अखिलेश यादव को हजम हो पा रही है और न ही विपक्षी दल कांग्रेस को। समाजवादी पार्टी के नेता संजय लाठर कहते हैं कि कर लेने दीजिए मनमानी। बस कुछ ही महीनों की और बात है।

तीन जुलाई को यूपी के बहुप्रतीक्षित जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के चुनाव का नतीजा आ जाएगा। मतदान से पहले भाजपा के 21 जिला पंचायत अध्यक्षों के निर्विरोध निर्वाचन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा की इज्जत बचा ली है। बसपा ने पहले ही मैदान में न उतरने की घोषणा कर दी है और इससे भाजपा की बांछें खिल गई हैं। 

सपा एमएलसी संजय लाठर कहते हैं कि भाजपा को मनमानी कर लेने दीजिए। अमर उजाला से बातचीत में लाठर कहते हैं कि क्या कभी इस तरह की प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर मनमानी हुई थी? यह तो पूरा फिल्मी अंदाज है, जहां भारत जैसे लोकतंत्र में विपक्षी दल का उम्मीदवार अपना नामांकन ही नहीं कर पा रहा है। राज्य सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अफसरों और पुलिस के सहारे पूरा तांडव करा रही है। 

भाजपा नेता ने कहा-अत्याचार तो सपा ने किया था, 35 अध्यक्ष जिताए थे

सपा के एमएलसी संजय लाठर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारी पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखती है। इसलिए केवल 21 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हो पाए। समाजवादी पार्टी ने तो अपने समय में 35 लोगों को निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा दिया था। सूत्र का कहना है कि यह सवाल सपा से पूछा जाना चाहिए कि क्या उसे तब लोकतंत्र की चिंता नहीं सता रही थी।

सपा को सत्ता में आने की उम्मीद

लाठर कहते हैं कि नियम के मुताबिक अभी तो कुछ नहीं किया जा सकता, लेकिन छह महीने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। वह कहते हैं कि अगले साल उ.प्र. विधानसभा चुनाव होने हैं। जनता का रुझान देते हुए समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने की उम्मीद है। लाठर कहते हैं कि तब उ.प्र. का अपने आप नजारा बदल जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव लाकर गलत तरीके से बने भाजपा के सभी जिला पंचायत अध्यक्षों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हटा दिया जाएगा।

हमने नामांकन से नहीं रोका था : सपा

भाजपा नेता के इस आरोप पर सपा नेता लाठर कहते हैं कि हमने किसी को भी चुनाव लड़ने या नामांकन करने से नहीं रोका था। नेताओं को पार्टी के पक्ष में मनाना, समझाना अलग बात है, लेकिन डराना, धमकाना, नामांकन ही न करने देना, चुनाव लड़ने के प्रयासों पर पानी फेर देना गलत बात है। लोकतंत्र के विपरीत है और सपा सरकार के समय में ऐसे हथकंडे कभी नहीं अपनाए गए। सपा नेता के अनुसार यह सरकार कुछ महीनों की ही मेहमान है।

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