पश्चिम बंगाल और ममता सरकार में परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने हुगली नदी आयुक्त पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. मन जा रहा है की ममता से नाराज़ चल रहे शुभेंदु अधिकारी बग़ावती तेवर अपनाये हुए हैं. शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी, भाई दिब्येंदु अधिकारी भी लोकसभा सांसद हैं. नंदीग्राम आंदोलन के सूत्रधार शुभेंदु 65 सीटों पर असर रखते है. उधर कूचबिहार के टीएमसी विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है वे भी ममता बैनर्जी से नाराज़ बताए जा रहे हैं. मिहिर गोस्वामी रविवार या सोमवार को बीजेपी में शामिल हो सकते है.
बता दें की एक तरफ जहा तृणमूल कांग्रेस शुभेंदु अधिकारी को मनाने की कवायद कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी शुभेंदु पर डोरे डाल रही है. ऐसी क्या बात है कि शुभेंदु अधिकारी को बंगाल की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियां लुभाने की कोशिश में जुटी हुई है, लेकिन अब खबर आ रही है कि शुभेंदु अधिकारी बहुत जल्द ही ममता बैनर्जी केबिनेट से भी इस्तीफ़ा दे सकते हैं.
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.सबसे पहले आपको बता दे कि शुभेंदु अधिकारी कौन हैं? शुभेंदु अधिकारी पूर्वी मिदनापुर जिले के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता शिशिर अधिकारी पश्चिम बंगाल की कांथी लोकसभा सीट से सांसद हैं. शुभेंदु अधिकारी के पिता 1982 से कांथी दक्षिण विधानसभा सीट से कांग्रेस से विधायक बने थे, लेकिन बाद में वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक शुभेंदु अधिकारी हैं.
नंदीग्राम के आंदोलन की सफलता से खुश होकर ममता बनर्जी ने तब शुभेंदु को जंगलमहल इलाके का इंचार्ज बनाया. जिसमें पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिले शामिल थे. यह जिले वामपंथ का गढ़ थे जो कि अति पिछड़े थे और माओवादी विद्रोह से जूझ रहे थे. यहां से शुभेंदु अधिकारी ने अपने प्रभाव और आभामंडल को बढ़ाना शुरू किया. शुभेंदु अधिकारी एक बड़े नेता के रूप में स्थापित होते चले गए, अब राज्य में शुभेंदु अधिकारी को ममता बनर्जी का सबसे खास और दाहिना हाथ माना जाने लगा था.
.अब जब शुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं और पार्टी के झंडे के बिना राजनीतिक कार्यक्रम बिना ममता की तस्वीर और तृणमूल कांग्रेस के झंडे के कर रहे हैं. ऐसे साफ हो गया है कि शुभेंदु अधिकारी अब पार्टी से बगावत के मूड में है. माना जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी जल्द ही अपनी नई राजनीतिक राह तय कर लेंगे. इसके लिए उन्हें सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस से और सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा.
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